महिलाओं के साथ होने वाले भेदभावपूर्णं व्यवहार का होना चाहिए पूर्णं रूप से प्रतिकार

हरिद्वार। अन्तराष्ट्रीय माहवारी स्वच्छता दिवस के अवसर पर राज्यमंत्री महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग उत्तराखण्ड श्रीमती रेखा आर्य ने कनखल स्थित गौतम फार्म में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि आज अन्तराष्ट्रीय माहवारी स्वच्छता दिवस (मासिक धर्म स्वच्छता दिवस) है। इसका उद्देश्य महिलाओं में मासिक धर्म के दौरान अच्छे मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन के महत्व को उजागर करते हुए समाज को भी जागरूक करना है। इस दिवस को मनाने की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि आज भी कई विकासशील देशों में मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को हेय की दृष्टि से देखा जाता है। बालिकाएं अक्सर या तो इसी कारण से स्कूल छोड़ देती है अथवा इस दौरान स्कूल से अनुपस्थित रहती हैं। महिलाओं को अनेक जल स्रोतों, मंदिर, समारोह इत्यादि में जाने पर प्रतिबंध रहता है। ऐसे वातावरण में एक और तो महिलाओं में नकरात्मक भावना उजागर होती है दूसरी ओर महिलाएं लज्जा के चलते स्वच्छता की सामग्री (स्वच्छता पैड इत्यादि) नहीं मंगवा पाती और गंदे वस्त्रों/कपड़ों चीजों से सैनिटेशन (सफाई) का कार्य करने से संक्रमण बढ़ने की संभावना रहती है, जिससे महिलाओं में गर्भाशय कैंसर जैसे असाध्य रोग होते हैं अर्थात महिलाएं मानसिक और शारीरिक पीड़ा से गुजरती है और स्वास्थ्य जोखिम बढ़ता है।


उन्होंने कहा कि महिलाओं के लिए माहवारी बीमारी या शर्म का नहीं अपितु गर्व का विषय है। यह एक सहज, सरल व  स्वाभाविक प्रक्रिया है, जो महिलाओं को संतान उत्पन्न करने की शक्ति प्रदान कर मातृत्व सुख प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि माहवारी की वजह से महिलाओं के साथ होने वाले भेदभावपूर्णं व्यवहार का पूर्णं रूप से प्रतिकार किया जाना चाहिए।


उन्होंने कहा कि आप सभी जानते हैं की महिलाएं बहुत से शारीरिक बदलावों की वजह से पुरुषों से पृथक हैं और इसी कारण उनके अलग हारमोंस की वजह से उनको अलग-अलग परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है जो एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। हमें उनके इन बदलावों को सकारात्मकता के साथ स्वीकार करने की जरूरत है। अतः मैं आप सभी से यह अपील करती हूं कि अपने घर, गांव, समाज में ऐसा वातावरण बनाएं कि महिलाएं खुलकर बातचीत कर सकें, अपनी बात निसंकोच साझा कर सकें और महीनावारी स्वच्छता प्रबंधन को ठीक तरह से कर सकें। यह सभ्य समाज की अहम जिम्मेदारी भी है।


विश्व माहवारी स्वच्छता" alt="" aria-hidden="true" /> दिवस के अवसर पर आयोजित इस कार्यक्रम में मंत्री द्वारा किशोरियों एवं महिलाओं को निशुल्क स्वच्छता किट वितरित की गयी। महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग हरिद्वार द्वारा जनपद की 05 हजार से अधिक किशोरियों/महिलाओं को स्वच्छता किट निशुल्क वितरित की गयी। निदेशक महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास सुश्री झरना कमठान ने बताया कि किशोरी बालिकाओं/महिलाओं में व्यक्तिगत स्वच्छता एवं स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता लाने के उद्देश्य से आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से सब्सिडी दरों पर सेनेटरी नैपकिन उपलब्ध कराये जा रहे हैं। इसका लक्ष्य राज्य की महिलाओं एवं बालिकाओ को कम लागत में सेनेटरी नैपकिन की पहुंच सुनिश्चित करना है। उन्होंने बताया कि 28 मई 2018 को राज्य में प्रथम बार ''विश्व माहवारी स्वच्छता दिवस'' का आयोजन देहरादून जनपद में किया गया था, जिसमें 7000 किशोरी बालिकाओं/महिलाओं को स्वच्छता किट का वितरण किया गया था। वित्तीय वर्ष 2019-20 में राज्य के अन्य जनपदों सहित हरिद्वार जनपद में ''स्पर्श'' सेनेटरी पैड को आंगनबाडी केन्द्रों पर आंगनबाडी कार्यकत्रियों के माध्यम से न्यूनतम दरों पर उपलब्ध कराया जा रहा है। योजना के अंतर्गत आंगनवाडी कार्यकत्रियों द्वारा रूपये 15 प्रति सेनेटरी पैकेट (जिसमें 08 पैड हैं) का विक्रय किया जाएगा, जिसमें आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को 02 रूपये प्रति पैकेट पारितोषिक धनराशि भी प्रदान की जाएगी। कार्यक्रम में उप निदेशक महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग उत्तराखण्ड श्रीमती सुजाता एवं श्री सतीश सिंह, राज्य परियोजना अधिकारी सुश्री आरती बलोदी, जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री मुकुल चैधरी, सीडीपीओ वर्षा शर्मा, संदीप अरोड़ा, धर्मवीर आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती गीता शर्मा ने किया।